पुराने वाहनों को लेकर NGT के आदेशों की समीक्षा होनी चाहिए - राकेश टिकैत

 आनलाइन डेस्क। किसानों के हक के लिए आवाज उठाने वाले भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत अब पुराने वाहनों को लेकर एनजीटी के आदेशों से खफा है। अपने इंटरनेट मीडिया एकाउंट से एक ट्वीट करते हुए उन्होंने लिखा है कि पुराने वाहनों को लेकर एनजीटी ने जो आदेश दिए हैं उनको उसकी समीक्षा करनी चाहिए। अपनी बात को वजन देने के लिए उन्होंने कुछ तर्क भी दिए हैं। उन्होंने लिखा है कि दस साल में एक रोडवेज बस की तुलना स्कूल बस से और अन्य वाहनों की तुलना जज-डॉक्टर के वाहन, किसान के ट्रैक्टर से करना बेमानी है। उन्होंने लिखा है कि किलोमीटर के आधार पर वाहनों की मियाद तय होनी चाहिए।

 दरअसल कुछ समय पहले ही एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) ने दिल्ली-एनसीआर में 10 साल पुराने डीजल वाहनों पर लगे प्रतिबंध में छूट देने से इंकार कर दिया है। डीजल वाहनों पर प्रतिबंध की छूट के संबंध में दायर याचिका को भी एनजीटी ने खारिज कर दिया है। एनजीटी का तर्क है कि डीजल कार से फैलने वाला प्रदूषण 24 पेट्रोल और 40 सीएनजी वाहनों के बराबर होता है। इसलिए 10 साल पुराने डीजल वाहनों पर लगे प्रतिबंध पर छूट के मामले का कोई सवाल ही नहीं उठता है। इससे भी पहले एनजीटी ने दिल्ली-एनसीआर में 10 साल पुराने डीजल वाहनों का पंजीकरण रद करने के अपने आदेश में संशोधन करने से इनकार कर दिया था। 

एनजीटी अध्यक्ष आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि उनके आदेश के खिलाफ अपील को उच्चतम न्यायालय पहले ही खारिज कर चुका है। जो वाहन इस दायरे में आ रहे होंगे उनको सड़क से हटाना होगा या फिर वाहन स्वामी अपने इस वाहन का एनओसी लेकर उसे दूसरे प्रदेश में ले जाकर रजिस्ट्रेशन करा सकेंगे। पहले डीजल के वाहनों को हटाने के बाद सरकार पेट्रोल के 15 साल पुराने वाहनों का भी रजिस्ट्रेशन रद करने की दिशा में कदम उठाएगी। हालांकि बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए ही एनजीटी ने पहले ऐसा आदेश जारी किया था, अब सरकार को उस पर अमल करना है। इसके लिए दिल्ली सरकार की तरफ से भी पहल की गई है। 

हालांकि, दिल्ली परिवहन विभाग द्वारा जारी एक आदेश के अनुसार, डीजल वाहनों के लिए कोई एनओसी जारी नहीं किया जाएगा, जिन्होंने इसके लिए आवेदन करने की तारीख को 15 साल या उससे अधिक समय पूरा कर लिया है।

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