उपमंडलाधीश सुमित सिहाग ने किसानों से फसलों के अवशेष और फानों को खेतों में न जलाने का आह्वान करते हुए कहा है कि फसल अवशेेष जलाने से हमारी उपजाऊ जमीन की उर्वरा शक्ति एवं पर्यावरण को हानि पहुंचती है और साथ ही खेतों में मित्रों कीटों को नुकसान पहुंचता है। उन्होंने ने किसानों से कहा है कि वे अवशेषों को जलाने से बचें और कृषि विभाग के दिशा निर्देशानुसार किसान कृषि यंत्रों का प्रयोग करके अपने खेत में ही बचे हुए अवशेषों को मिट्टी में मिला सकते हैं, जिससे मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढ़ेगी। उन्होंने ने बताया कि फसल अवशेष जलाने से 100 प्रतिशत नाईट्रोजन, 25 प्रतिशत फास्फोरस, 20 प्रतिशत पोटाश व 60 प्रतिशत सल्फर का नुक्सान होता है और हमारे जैविक पदार्थ नष्ट हो जाते हैं। उन्होंने ने बताया कि फसल अवशेष जलाने से कार्बन मोनोआक्साइड, कार्बनडाई आक्साईड, राख, सल्फर हाईआक्साईड, मीथेन व अन्य अशुद्धियां उत्पन्न होती है। इससे वायु प्रदूषण बढ़ता है। फसल अवशेष जलाने से भूमि की उर्वरा शक्ति कम होने के साथ-साथ भूूण्डलीय तापमान में बढौत्तरी होती है तथा छोटे पौधे व वृक्षों पर आश्रित पक्षी मारे जाते हैं।
श्री सुमित सिहाग ने बताया कि फसलों के अवशेष जलाने से विभिन्न समस्याएं जैसे हवा व धरती का तापमान बढऩा, मनुष्य व पशुओं में सांस की समस्या, आंखों में जलन व धुंधलापन हो जाना और मिट्टी की गुणवत्ता में कमी इत्यादि उत्पन्न होती हैं। फसली अवशेषों में आग लगाने से प्रदूषण फैलता है और भूमि में पल रहे जीव, मित्र कीट, पोषक तत्व जलकर नष्टï हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि किसान खेतों में पड़े फसलों के अवशेषों को न जलाएं बल्कि उसे भूमि में दबाएं जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाई जा सकती है। फसल अवशेष पोटाश व अन्य पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने का महत्वपूर्ण स्त्रोत हैं। इससे रासायनिक खादों पर निर्भरता कम होती है। पानी की बचत होती है। फसल अवशेष अत्याधिक गर्मी व ठंड में भूमि के तापमान नियंत्रण में सहायक होते है। बदलते मौसम के प्रभाव का प्रकोप कम होता है।उपमंडलाधीश ने कहा कि हरियाणा सरकार फसल अवशेष प्रबंधन हेतु मशीनों पर सब्सिडी दे रही है। उपायुक्त ने किसानों से आह्वान किया कि वे गेहूं फसल कटाई उपरान्त बचे हुए फसल अवशेषों को न जलाएं बल्कि जमीन में मिलाकर भूमि की उर्वरता शक्ति को बढाएं। उन्होंने कहा कि कृषि विभाग द्वारा कृषि यंत्रों पर जो अनुदान दिया जा रहा है जैसे कस्टम हायरिंग सेंटर स्थापित करने पर 80 प्रतिशत अनुदान तथा व्यक्तिगत किसान द्वारा अनुदान की राशि 50 प्रतिशत है, का भरपूर लाभ उठाएं।
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